भारत का रक्षक # आजादी लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -15-Aug-2022
सृजन शब्द -आजादी
राधे श्यामी छंद (मत्त सवैया)
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उस घर भी क्या सावन आता,जिस घर का दीपक है बुझता।
सब घर में सुख चैन रहे सो, अपना झंडा न कभी झुकता।।
वो माँ की कोख नमन करते, उस बहना को करते वंदन।
हमको आजादी दिलवाई, वो सच्चे भारत के नंदन।।
वो मार भगा हर दुश्मन को, धरती माँ की गोदी लेटा।
कर देश समर्पित जीवन यह, वो असली भारत का बेटा।।
राखी पर आएगा भाई, रेशम डोरी लाई बहना।
झंडे लिपटा भाई आया, कैसा दुख अब है यह सहना।।
चूड़ी कंगन पायल टूटी, तुम बिन यह सावन अब झूठा।
सारी सखियाँ झूला झूले, मन मेरा तुम बिन है रूठा।।
थक हार गई खुद को समझा, तुम प्रेम वतन से करते थे।
कब प्रेम कहानी पूरी हो, तुम इस अवसर में रहते थे।।
झंडे में लिपटे आए हो,अपनी महबूबा लाए हो।
जो अंश हुआ यह अपना है,इसको देख न तुम पाए हो।।
अब लक्ष्य यही इस जीवन का, तुम जैसा भारत का रक्षक।
अपना बेटा भी तो होगा, सीमा पर मारेगा भक्षक।।
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कविता झा'काव्या कवि'
राँची, झारखंड
15.08.२०२२
#लेखनी
##लेखनी
Chetna swrnkar
17-Aug-2022 08:23 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
17-Aug-2022 06:29 PM
बेहतरीन
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Mithi . S
17-Aug-2022 08:23 AM
Bahut achhi rachana
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